True Anmol Vachan in Hindi with Images

" सुख " क्या है,
सब कुछ आपकी इच्छा से चलना ही " सुख " है।
जो मनुष्य खुद में दोष होते हुए भी दूसरे में दोष देखता है,
और असमर्थ होते हुए भी व्यर्थ का क्रोध करता है,
वह सबसे बड़ा महामूर्ख है।
जिसके पास बहुत अधिक धन होने पर भी
उसकी चाल में भी फर्क नहीं आता,
वही उस धन का सच्चा उत्तराधिकारी होता है।
अकेले स्वादिष्ट भोजन न करे,
अकेला किसी भी काम का निस्चय ना करे,
अकेला रास्ता न चले,
बहुत से लोग सोये हुए हो तो उनमें अकेला न जागे।
क्षमाशील पुरुषो में एक ही दोष होता है,
क्षमाशील मनुष्य को लोग असमर्थ समझ लेते है।
जो धनि होने पर भी दान ना दे,
और दरिद्र होने पर भी दुःख सहन ना कर सके,
ये दोनों ही निंदनीय है।
सत्ता के दौर में,
सच्चाई की आशा नहीं रखते दोस्त।
संतुलन से जीवन जीना ही संयम है।
बिना कुछ करे भी बहुत कुछ हो सकता है,
एक बार अपनी जुबान से किसी को अच्छे शब्द निकल कर देखो।
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