Sad Shayari अकेले रहने वालो की हमसफ़र यादें।

जब जख्म लगे है दिल पर तो तुझे दिखाऊं कैसे,
जब समझना नहीं है तुझे मेरे हालातो को,
तो तुझे समझाऊं कैसे।
सब धुआं धुआँ
सा
,
ना जाने क्यों
सब
राख
लगता
है,
तेरे बिना एक
पल
भी
मानो,
बुरा
ख्वाब
लगता
है,
रूठने से ही
फुरसत
नहीं
थी
उसे,
प्यार तो एक
हसीन
सवाल
लगता
है।
तेरे ना कहने पर भी मैं उसे हाँ समझा,
और मैं सोचता था की बदल जाएगी तू एक दिन,
पर ना जाने अपने क्यों मैं अपने फैसलों को गलत कर बैठा।
नहीं होता मुक्कद्दर में हर किसी के प्यार,
अगर होता, तो ये धरती फिर स्वर्ग हो जाती।
जीने में क्या जीना तेरे बगैर ऐ-दिलदार,
क्योंकि हर पल अधूरा सा लगता है तेरे बगैर।
जो फैसले थे जाने के वो उसके अपने थे,
वरना मैंने तो अब तक उसके हर एक फूल को
संभाल कर रखा हुआ है।
वो तो मेरे दिल की धड़कन थी,
अब तो बस शरीर है उसके बिना।
जब भी कोई मुझसे पूछता है की उसे रोका क्यों नहीं,
तो मैं कहता हूँ उसके आने के फैसले भी अपने थे और जाने के भी।
मान लेता हूँ मैं अपनी सारी गलतियां,
बस तू एक बार लौट कर आजा।
सपने हसीन होते
है,
जब यार मेरा
साथ
होता
है,
और सदमे में
रहती
है
जिंदगी,
जब यार मेरा
उदास
रहता
है।
अपने तो अपने
रहे
नहीं,
फिर उसका यकीन
कैसे
करूँ,
साथ छूटना था
ही
मेरा,
ये उम्मीद थी मेरी।
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